| 1. | नारी कोमल है उसको मत, भारी बोझा ढोने दो।।”
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| 2. | अफ्रीकी लोक-कथा: चींटियाँ भारी बोझा क्यूँ ढोती हैं
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| 3. | भारी बोझा ऊपर उठाने का यन्त्र
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| 4. | अफ्रीकी लोक-कथा: चींटियाँ भारी बोझा क्यूँ ढोती हैं →
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| 5. | भारी बोझा ऊपर उठाने का यन
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| 6. | मैं हमेशा महसूस करती कि मेरे सिर पर एक भारी बोझा रखा है।
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| 7. | जो आधा गधा है यानी खच्चर, वह भी भारी बोझा ढोकर इन्सान की महान सेवा करता है।
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| 8. | थी तो दूसरी तरफ़ उसकी परेशानियों से उसे मुक्त करने की चाह, जब भी भारी बोझा वह
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| 9. | अपने और अपने परिवार की दो वक्त की रोटी के लिए ये इतना भारी बोझा उठा रहा है।
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| 10. | अफ्रीकी लोक-कथा: चींटियाँ भारी बोझा क्यूँ ढोती हैं अनानसी और उसका बेटा कवेकू-दोनों बहुत चतुर किसान थे.
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